सीबीडीटी विभाग ने पाया कि वित्तपोषण समूह "उच्च ब्याज दर वसूल रहे हैं, जिसका एक हिस्सा कर के लिए नहीं दिया जाता है।"
23 सितंबर को चेन्नई में 35 परिसरों पर छापेमारी की गई थी।
सीबीडीटी ने एक बयान में कहा, "अब तक की गई तलाशी में 300 करोड़ रुपए से अधिक की अघोषित आय का पता चला है और 9 करोड़ रुपए की बेहिसाबी नकदी जब्त की गई है।"
बयान में कहा गया है कि फाइनेंसरों और उनके सहयोगियों के परिसरों से मिले सबूतों से पता चला है कि इन समूहों ने तमिलनाडु में विभिन्न बड़े कॉरपोरेट घरानों और व्यवसायों को उधार दिया है, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा नकद में है।
विभाग ने पाया कि समूह "उच्च ब्याज दर वसूल रहे हैं, जिसका एक हिस्सा कर के लिए नहीं दिया जाता है।"
कर विभाग के लिए नीति बनाने वाले निकाय ने कहा, "समूहों द्वारा अपनाए गए तौर-तरीकों से पता चला है कि उधारकर्ताओं द्वारा अधिकांश ब्याज भुगतान डमी बैंक खातों में प्राप्त होते हैं और इसका खुलासा कर उद्देश्यों के लिए नहीं किया गया है।"
सीबीडीटी ने दावा किया कि "बेहिसाब पैसे" को समूहों के खातों की किताबों में असुरक्षित ऋण, विविध लेनदारों आदि के रूप में लाया जाता है।
इसमें कहा गया है कि इन व्यक्तियों द्वारा कई अघोषित संपत्ति निवेश और अन्य आय में कमी भी पाई गई।
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